बुधवार, 2 मार्च 2011

विशेष संयोग के साथ आया महाशिवरात्रि पर्व

शिवशंकर महादेव की महिमा अनुपम है। महाशिवरात्रि का विशेष पर्व श्रद्धालुओं में असीम श्रद्धा लेकर आता है। कहा जाता है कि इस दिन भगवान शिव का माता पार्वती से विवाह हुआ था। इसके दूसरे दिन आने वाली अमावस्या को विवाह पश्चात की विशेष रात्रि के रूप में मनाया जाता है।

इस बार यह पर्व विशेष संयोग के साथ आया है, जिसमें शिव पूजा विशेष फलदायी होगी। महाशिवरात्रि के साथ प्रदोष और श्रव क्षत्र का होना शुभ माना जा रहा है। इस बार 2 मार्च को त्रयोदशी तिथि पड़ी है, लेकिन रात में चतुदर्शी तिथि आ रही है। इस दिन प्रदोष होने से महत्व और बढ़ गया है। बैद्यनाथ जयंती एवं श्रवण भी है, इसलिए इसे अच्छा संयोग कहा जा सकता है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय ज्योतिष गणना के आधार पर महाशिवरात्रि पर्व 2 मार्च, बुधवार को सर्वश्रेष्ठ एवं श्रेयस्कर है।

वैसे तो भगवान शिव को एक पत्नी समर्पित माना जाता है, यही वजह है कि कुँवारी कन्याएँ शिव की तरह पति प्राप्ति के लिए कामना करती है। कहा जाता है कि हर जन्म में भगवान शिव ने माँ पार्वती का ही वरण किया था। हर जन्म में उनके मिल की कथा अनूठी और पवित्र है। इस दिन शिवभक्त, शिव मंदिरों में जाकर शिवलिंग पर बेल-पत्र आदि चढ़ाते, पूजन करते, उपवास करते तथा रात्रि को जागरण करते हैं। शिवलिंगपर बेल-पत्र चढ़ाना, उपवास तथा रात्रि जागरण करना एक विशेष कर्म की ओर इशारा करता है। इस दिन शिव की शादी हुई थी इसलिए रात्रि में शिवजी की बारात निकाली जाती है। वास्तव में शिवरात्रि का परम पर्व स्वयं परमपिता परमात्मा के सृष्टि पर अवतरित होने की स्मृति दिलाता है।

चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम शुभफलदायी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है, परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य देव भी इस समय तक उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया हैं। शिव का अर्थ है कल्याण। शिव सबका कल्याण करने वाले हैं। महाशिवरात्रि पर सरल उपाय करने से ही इच्छित सुख की प्राप्ति होती है। चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है। चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है। प्राय: ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव आराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं। शिव आदि-अनादि है। सृष्टि के विनाश व पुन:निर्माण के बीच की कड़ी है। प्रलय यानी कष्ट, पुन:निर्माण यानी सुख। शिव को सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, वैभव, सौभाग्य एवं कल्याण का प्रतीक मानकर महाशिवरात्रि पर अनेक प्रकार के पूजन, व्रत और अनुष्ठान करने की बात कही गई है।

2 टिप्‍पणियां:

Akhilesh pal blog ने कहा…

bahoot sundar hai aap ka blog

S.M.HABIB (Sanjay Mishra 'Habib') ने कहा…

बहुत अच्छी जानकारी राजेन्द्र भाई...
आपकी ब्लॉग भी बड़ी मनमोहक है...
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं....