
इस बार यह पर्व विशेष संयोग के साथ आया है, जिसमें शिव पूजा विशेष फलदायी होगी। महाशिवरात्रि के साथ प्रदोष और श्रवण नक्षत्र का होना शुभ माना जा रहा है। इस बार 2 मार्च को त्रयोदशी तिथि पड़ी है, लेकिन रात में चतुदर्शी तिथि आ रही है। इस दिन प्रदोष होने से महत्व और बढ़ गया है। बैद्यनाथ जयंती एवं श्रवण भी है, इसलिए इसे अच्छा संयोग कहा जा सकता है। इस दिन शिव-पार्वती की पूजा करने से विशेष फल प्राप्त किया जा सकता है। भारतीय ज्योतिष गणना के आधार पर महाशिवरात्रि पर्व 2 मार्च, बुधवार को सर्वश्रेष्ठ एवं श्रेयस्कर है।

चतुर्दशी तिथि के स्वामी शिव हैं। ज्योतिष शास्त्रों में इसे परम शुभफलदायी कहा गया है। वैसे तो शिवरात्रि हर महीने में आती है, परंतु फाल्गुन कृष्ण चतुर्दशी को ही महाशिवरात्रि कहा गया है। ज्योतिषीय गणना के अनुसार सूर्य देव भी इस समय तक उत्तरायण में आ चुके होते हैं तथा ऋतु परिवर्तन का यह समय अत्यन्त शुभ कहा गया हैं। शिव का अर्थ है कल्याण। शिव सबका कल्याण करने वाले हैं। महाशिवरात्रि पर सरल उपाय करने से ही इच्छित सुख की प्राप्ति होती है। चंद्रमा शिव के मस्तक पर सुशोभित है। चंद्रदेव की कृपा प्राप्त करने के लिए भगवान शिव को प्रसन्न किया जाता है। महाशिवरात्रि शिव की प्रिय तिथि है। प्राय: ज्योतिषी शिवरात्रि को शिव आराधना कर कष्टों से मुक्ति पाने का सुझाव देते हैं। शिव आदि-अनादि है। सृष्टि के विनाश व पुन:निर्माण के बीच की कड़ी है। प्रलय यानी कष्ट, पुन:निर्माण यानी सुख। शिव को सुख, समृद्धि, ऐश्वर्य, वैभव, सौभाग्य एवं कल्याण का प्रतीक मानकर महाशिवरात्रि पर अनेक प्रकार के पूजन, व्रत और अनुष्ठान करने की बात कही गई है।
2 टिप्पणियां:
bahoot sundar hai aap ka blog
बहुत अच्छी जानकारी राजेन्द्र भाई...
आपकी ब्लॉग भी बड़ी मनमोहक है...
महाशिवरात्रि की हार्दिक शुभकामनाएं....
एक टिप्पणी भेजें