बुधवार, 21 सितंबर 2011

...तो होता रहेगा हुक्का-पानी बंद !

0 कानून में नहीं है सजा का प्रावधान
0 दबंगों के सामने पुलिस बनी बेबस


भारतीय कानून में हत्या, चोरी अन्य गंभीर अपराध करने वालों के लिए सजा का प्रावधान है, लेकिन हुक्का-पानी बंद करने वालों के खिलाफ कानून में कोई सजा तय नहीं है। इसी का फायदा उठाते हुए जिले के ग्रामीण क्षेत्रों में निवासरत् कमजोर परिवारों का दबंग लोग लगातार हुक्का-पानी बंद करा रहे हैं। लोगों से ठुकराए हुए ग्रामीणों को अपने गांव में ही पराया बनकर रहना पड़ रहा है, जबकि पुलिस कानून की दुहाई देकर दबंगों के आगे बेबस बनी हुई है।
पिछले 6 माह के भीतर दबंग लोगों द्वारा छत्तीसगढ़ के जांजगीर जिले में आधा दर्जन से अधिक बेबस परिवारों का हुक्का-पानी बंद कराए जाने का मामला सामने आया है। छह माह पहले पंचायत की बैठक में नहीं पहुंच पाने के कारण जैजैपुर विकासखंड के ग्राम करौवाडीह की महिला सरपंच श्रीमती कविता मनहर व उसके परिवार का उपसरपंच ने ही हुक्का-पानी बंद करा दिया। उपसरपंच के इस निर्णय के बाद गांव के लोगों ने सरपंच और उसके परिवार से बातचीत बंद कर दी। इसकी शिकायत सरपंच व उसके परिजनों ने जैजैपुर थाने में दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने कोई कार्रवाई नहीं की। इससे कुछ पहले भी उपसरपंच व उसके रिश्तेदारों ने ग्रामीणों के साथ मिलकर पंचायतकर्मी शिवकुमार शिवे व रोजगार सहायक पानूराम का हुक्का पानी बंद कराया था, जिनसे 25-25 हजार अर्थदंड लेने के बाद उपसरपंच व ग्रामीणों का व्यवहार सामान्य हुआ। इस मामले के एक माह बाद ग्राम बिर्रा में दबंगों ने सरपंच, जनपद सदस्य व कुछ पंचों का हुक्का पानी बंद करा दिया, जिस पर पीडि़तों की ओर से शिकायत पुलिस तक पहुंची, लेकिन कोई फायदा नहीं हुआ। इसी तरह जैजैपुर विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत मल्दा निवासी फूलबाई (50 साल) बेबा रघुराम कश्यप व उसके दामाद लखनलाल का सरपंच पति माधवराम कश्यप ने मामूली विवाद को लेकर हुक्का-पानी बंद करा दिया है। इसी तरह का मामला हाल ही में ग्राम पंचायत कापन में सामने आया है। अकलतरा विकासखंड अंतर्गत ग्राम पंचायत कापन में सरपंच अगहन लाल ने बिसाहूराम कश्यप व उसके परिवार का हुक्का पानी बंद कराया है। यहां तो गांव में कोटवार से मुनादी तक कराई गई है कि उस परिवार से कोई बात नही करेगा। यहां तक कि नाई और धोबी से भी कह दिया गया है कि वे उस परिवार को किसी तरह की सेवा न दे, वरना दण्ड के भागी होंगे। खास बात यह है कि इन सभी मामलों में प्रताडि़त परिवारों ने पुलिस थाने व एसपी कार्यालय जाकर शिकायत दर्ज कराते हुए न्याय की गुहार लगाई है, लेकिन कानून में दंड का प्रावधान नहीं होने की बात कहते हुए पुलिस ने हर बार पीडि़तों की मदद करने से हाथ खींच लिया है। एक तरह से हुक्का-पानी बंद के इन सभी मामलों में पीडि़तों को पुलिस का सहयोग बिल्कुल नहीं मिला है। हुक्का-पानी बंद होने के बाद पीडि़त परिवार न्याय के लिए दर-दर भटक रहे हैं। वहीं दबंग ग्रामीण अपनी मनमानी पर उतर आए है और वे अपनी बातें मनवाने के लिए इसे एक बेहतर अस्त्र मान रहे हैं। अब तक देखा जाए तो किसी योजना में गड़बड़ी व पेंशन आदि नहीं मिलने को लेकर दबंगों की शिकायत करना कई ग्रामीणों को महंगा ही पड़ा है। जबकि पुलिस हर बार हाथ पर हाथ धरे बैठे रही है, जिसका फायदा उठाने में दबंग पीछे नहीं हैं। बहरहाल दबंग व्यक्ति जब चाहे किसी का हुक्का-पानी बंद करा सकता है, क्योंकि इस तरह के अपराध के लिए कानून में सजा का कोई प्रावधान नहीं होने की बात कहते हुए पुलिस अपना पल्ला झाड़ लेती है।

सजा का प्रावधान नहीं
हुक्का-पानी बंद करने वालों के खिलाफ भारतीय दंड संहिता में सजा का कोई प्रावधान नहीं है। ऐसे मामलों में पुलिस किसी तरह की कार्रवाई नहीं कर सकती। सिर्फ दोनों पक्षों को समझाइश देकर मामला शांत कराया जा सकता है।
-एसआर भगत, एडिशनल एसपी, जांजगीर

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