बुधवार, 21 सितंबर 2011

केएसके महानदी पावर प्लांट में हंगामा

0 कम वेतन मिलने से मजदूरों ने किया काम बंद
0 प्रबंधन कर रहा मजदूरों को काम पर लाने का प्रयास

नरियरा में निर्माणाधीन केएसके महानदी पावर प्लांट में कार्यरत् सैकड़ों मजदूरों ने सोमवार शाम से काम बंद कर दिया है। कम वेतन मिलने तथा स्थायी रोजगार नहीं दिए जाने से खासकर भू-विस्थापितों में कंपनी प्रबंधन के प्रति गहरी नाराजगी है। काम बंद होने से परेशान कंपनी के अफसर मजदूरों को समझाइश देकर दोबारा काम शुरु कराने का प्रयास कर रहे हैं।
जांजगीर-चाम्पा जिले के अकलतरा विकासखंड के ग्राम नरियरा में हैदराबाद की केएसके महानदी पावर कंपनी द्वारा निर्माणाधीन 3600 मेगावाट का पावर प्लांट शुरुआत से ही विवादों में रहा है। क्षेत्र के किसानों की भूमि खरीदी व रोगदा बांध को पाटकर समतल किए जाने का मामला अभी शांत नहीं हो पाया है कि एक बार फिर कंपनी प्रबंधन के रवैये को लेकर मजदूरों में आक्रोश देखा जा रहा है। बताया जाता है कि प्रबंधन ने पावर प्लांट निर्माण से प्रभावित हुए भू-विस्थापितों को मुआवजा के अलावा कंपनी में स्थायी नौकरी देने का लिखित करार किया है। इसके तहत् क्षेत्र के भू-विस्थापितों को रोजगार तो दिया गया है, लेकिन उन्हें स्थायी नहीं किया जा रहा है। मसलन, कंपनी प्रबंधन ने क्षेत्र के लोगों को उत्पादन शुरु होने के पहले तक ठेका कंपनी के काम में लगा दिया है। ऐसे में संबंधित मजदूरों को ठेका कंपनी द्वारा मनमाने दर पर मजूदरी का भुगतान किया जा रहा है, जिसका पिछले कई माह से विरोध हो रहा था। बावजूद इसके कंपनी प्रबंधन के अफसर मामले को गंभीरता से नहीं ले रहे थे, इससे आक्रोशित होकर सैकड़ों मजदूरों ने सोमवार की शाम कंपनी का काम बंद कर दिया और वे बाहर निकलकर अफसरों के खिलाफ नारेबाजी करने लगे। इसकी जानकारी होने पर कंपनी के कुछ अफसरों ने उन्हें समझाइश देकर मामला शांत कराना चाहा, लेकिन मजदूर अब स्थायी नौकरी व पर्याप्त वेतन व सुविधाएं मिलने के बाद ही काम पर लौटने की बात कह रहे हैं। इधर, मजदूरों के काम बंद किए जाने से संयंत्र का निर्माण ठप पड़ गया है। जानकारी मिली है कि कंपनी के अफसर जरुरी सुविधाएं मुहैया कराने का आश्वासन देते हुए मजदूरों को मनाने का प्रयास कर रहे हैं, बावजूद इसके मंगलवार की शाम तक मजदूर काम पर नहीं लौटे थे।

70 फीसदी कर्मचारी बाहरी !
केएसके पावर कंपनी के अफसर एक तरफ स्थानीय लोगों को भरपूर रोजगार देने के दांवे करते हैं, जबकि दूसरी ओर स्थानीय लोगों को कम मजदूरी देकर उनका शोषण किया जा रहा है। यही नहीं, स्थानीय लोगों को रोजगार देने के मामले में भी कंपनी का रवैया ठीक नहीं है। इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कंपनी में कार्यरत् चपरासी से लेकर अफसर तक के 70 फीसदी कर्मचारी दीगर राज्य उड़ीसा, बिहार, हैदराबाद, आन्ध््राप्रदेश और उत्तर प्रदेश के हैं। इस बात को लेकर भी स्थानीय लोगों के अलावा भू-विस्थापितों में भारी आक्रोश है।

जोखिम में मजदूरों की जान
निर्माणाधीन पावर प्लांट में कार्यरत् स्थानीय मजदूरों को जरुरी सुविधाओं के अलावा सुरक्षा संसाधन मुहैया कराने में भी प्रबंधन उदासीन बना हुआ है। कई मजदूरों ने बताया कि काम के दौरान उन्हें जूता, हेलमेट व अन्य सुरक्षा सामान मुहैया नहीं कराया जाता, जिसकी वजह से उन्हें जान जोखिम में डालकर काम करना पड़ता है। इसकी शिकायत कंपनी के अफसरों से कई बार की जा चुकी है, लेकिन वे स्थानीय मजदूरों की सुनने को तैयार नहीं होते। कंपनी में निर्धारित समय से अधिक समय तक काम लिए जाने को लेकर भी मजदूरों में नाराजगी है।

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