शुक्रवार, 15 अप्रैल 2011

ग्राम सुराज के हजारों प्रकरण फाईलों में दफन

ग्रामीण क्षेत्रों की समस्याओं के समाधान के लिए राज्य सरकार द्वारा चलाए गए ग्राम सुराज अभियान के हजारों प्रकरण फाईलों में दफन हो गए। संबंधित विभागों ने अपना दामन बचाने के लिए बेमतलब के जवाब देकर फाईलों को बंद कर दिया। जिले में 61 हजार 6 सौ 23 आवेदन व शिकायतें मिली थी। सभी आवेदनों को निराकृत बता दिया गया है। जबकि आवेदनों का निराकरण मात्र कागजों में कर दिया गया है।
यहां तक मुख्यमंत्री द्वारा धाराशिव गांव में सुराज के दौरान की गई 8 में 3 घोषणाएं अब तक पूरी नहीं हो सकी हैं। समझा जा सकता है कि किस तरह ग्राम सुराज की समस्याओं का निराकरण यहां के अधिकारियों द्वारा किया गया है। गांव, गरीब और किसानों की समस्याएं निपटाने के लिए राज्य सरकार द्वारा अप्रेल 2010 में ग्राम सुराज अभियान पूरे प्रदेश में चलाया गया था। मुख्यमंत्री ने स्वयं ही कई जिलों के गांवों में पहुंचकर ग्रामीणों की चौपाल लगाई तथा उनकी समस्याओं को दूर करने के लिए तत्काल कई घोषणाएं भी कर दी थी। जांजगीर-चाम्पाजिले के धाराशिव गांव में मुख्यमंत्री डा. रमन सिंह 19 अप्रेल 2010 को हैलीकाप्टर से पहुंचे थे। यहां उन्होंने ग्रामीणों से लगभग एक घंटे तक बातचीत की तथा उनकी मांगों को पूरा करने के लिए घोषणाएं भी कर दी। मुख्यमंत्री द्वारा की गई घोषणाओं में से 5 मांगों को पूर्ण किया जाना बताया जा रहा है। वहीं 3 घोषणाएं अब भी लंबित हैं, जिनमें नहर चौड़ीकरण, एप्रोच रोड व धान खरीदी केन्द्र खोले जाने की घोषणा अब तक पूरी नहीं हो सकी है। सुराज अभियान शाखा से प्राप्त जानकारी के अनुसार पिछले वर्ष ग्राम सुराज अभियान के तहत् जिले के 9 विकासखंडों से 59296 मांगें, 2327 शिकायतें अधिकारियों को मिली थी। इन सभी मांग व शिकायतों का निराकरण होना बताया जा रहा है। जबकि वास्तविकता कुछ और ही है। ग्रामीणों की मानें तो उन्होंने अपनी समस्याओं से संबंधित शिकायत सुराज दल को दी थी। लेकिन उनके आवेदनों पर कोई कार्रवाई नहीं की ग है। यही वजह है कि इस वर्ष ग्राम सुराज में कई गांवों में अभियान के खिलाफ आक्रोश है तथा ग्रामीणों ने उसके बहिष्कार का मन बना लिया है। बलौदा विकासखंड के ग्राम जाटा, बम्हनीडीह विकासखंड के ग्राम अफरीद सहित अन्य गांवों में भी बहिष्कार किए जाने की तैयारी ग्रामीणों ने की है। इस संबंध में जिला प्रशासन को ग्रामीणों ने ज्ञापन भी दिए हैं। ग्रामीणों के आक्रोश से ऐसा लग रहा है कि इस बार होने वाले ग्राम सुराज अभियान में अधिकारियों को आक्रोश का सामना करना पड़ेगा।

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