शुक्रवार, 13 मई 2011

चंद्रहासिनी मंदिर ट्रस्ट के दस्तावेज जप्त

0 फर्जी रसीद बुक से लाखों की हेराफेरी का मामला

हिन्दुओ के प्रमुख आस्था का केंद्र माँ चंद्रहासिनी मंदिर चंद्रपुर में फर्जी रसीद के जरिए लाखों की हेराफेरी का मामला सुर्खियों में आने के बाद नायब तहसीलदार ने ३० अप्रैल को मंदिर पहुंचकर ट्रस्ट के सभी दस्तावेज जप्त कर लिए हैं। एक माह पूर्व ट्रस्ट ने इस मामले में संलिप्त पाए जाने पर दो कर्मचारियों को नौकरी से हटा दिया था।
नगर पंचायत चंद्रपुर स्थित मां चंद्रहासिनी मंदिर का संचालन पिछले कई वर्षो से श्री गोपालजी महाप्रभु एवं सार्वजनिक ट्रस्ट द्वारा किया जा रहा है। नए ट्रस्टी रणजीत दास वैष्णव की नियुक्ति के बा उन्हे ट्रस्ट के कुछ कर्मचारियों द्वारा दान की राशि में हेराफेरी किए जाने की शिकायत मिली थी, जिसके आधार उन्होंने अपने स्तर पर छानबीन की। इस दौरान कुछ कर्मचारियों से एक ही नंबर के कई फर्जी रसीद बुक मिले। मामला उजागर होने के बाद ट्रस्ट की बैठक रखी ग, जिसमें रकम की हेराफेरी करने वाले ट्रस्ट के कर्मचारियों को निकालने का निर्णय लिया गया। इस आधार पर दो कर्मचारियों को ट्रस्ट ने नौकरी से निकाल दिया, जबकि नवरात्रि के बाद कुछ और कर्मचारियों के खिलाफ कार्रवाई किए जाने की बात कही गई थी। मगर दान की राशि हेराफेरी करने वालों पर टस्ट्र के पदाधिकारियों द्वारा किसी तरह की ठोस कार्रवाई नहीं किए जाने से नगर पंचायत के पार्षदों ने कलेक्टर से शिकायत की। इसके बाद मंदिर ट्रस्ट से संबंधित जानकारियां सूचना के अधिकार के तहत् निकाली गई, जिससे मंदिर की दान राशि में भारी पैमाने पर गफलतबाजी होने की पुष्टि हुई। नगर पंचायत के पार्षदों द्वारा बार-बार मामले की शिकायत किए जाने पर कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र ने एसडीएम एस.सी. श्रीवास्तव को जांच के निर्देश दिए। एसडीएम श्रीवास्तव के निर्देश के बाद चंद्रपुर में पदस्थ नायब तहसीलदार ए.पी.एस. परिहार ३० अप्रैल को दोपहर 2 बजे पुलिस कर्मियों के साथ मां चंद्रहासिनी मंदिर पहुंचे। तब ट्रस्ट कुछ पदाधिकारियों ने काफी देर तक गोलमोल जानकारी देकर उनसे मंदिर में किसी भी तरह की गफलतबाजी नहीं होने का दावा भी किया। ट्रस्ट से संबंधित दस्तावेज की जांच करने के लिए नायब तहसीलदार परिहान ने जब कोषाध्यक्ष शरद अग्रवाल को मंदिर बुलाया, तब वे नहीं आए। इसके बाद तहसीलदार ने उनसे फोन पर बातचीत की। इस दौरान वे ट्रस्ट के कार्यालय में लगे ताले की चॉबी नहीं होने का हवाला देकर बचते रहे। बार-बार बुलाने के बावजूद कोषाध्यक्ष के नहीं आने पर नायब तहसीलदार ने कार्यालय का ताला तोड़कर जांच प्रक्रिया पूरी की। नायब तहसीलदार की कड़ाई पर ट्रस्ट के पदाधिकारियों को आखिरकार दस्तावेज सौंपने पड़े। मंदिर में करीब चार घंटे तक चली कार्रवाई के बाद नायब तहसीलदार ने ट्रस्ट से संबंधित सभी दस्तावेज जप्त किए हैं।

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