शुक्रवार, 13 मई 2011

कैदी की पिटाई से संतोष की मौत !

0 जेलर ने दिया कलेक्टर व एसपी को प्रतिवेदन

एट्रोसिटी एक्ट के मामले में जेल भेजे गए आरएमपी डाक्टर की संदिग्ध परिस्थितियों में हुई मौत के मामले में एक बार फिर नई कहानी सामने आई है। कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक को जेलर द्वारा भेजा गया प्रतिवेदन चौंकाने वाला है, जिसमे कैदी संतोष की मौत पुलिस या जेलकर्मियों की पिटाई से नहीं, बल्कि एक अन्य कैदी द्वारा मारपीट किए जाने से होने की बात लिखी गई है। इससे मृत कैदी के परिजनों ने जेलर के प्रतिवेदन पर कई तरह के सवाल उठाए हैं।
जांजगीर-चाम्पा जिले के केरा रोड जांजगीर में क्लिनिक संचालित करने वाले आरएमपी डाक्टर संतोष श्रीवास को एट्रोसिटी के मामले में 30 अप्रेल को जेल भेजा गया था, इसके तीन दिन बाद संदिग्ध अवस्था में उसकी मौत हो गई। मृतक के शरीर पर कई जगह चोटों के निशान होने केक कारण जांजगीर पुलिस और जेल प्रशासन संदेह के घेरे में आ गए थे। 3 मई की सुबह संतोष श्रीवास को बीमार होने की बात कहकर जिला चिकित्सालय लाया गया, जबकि उसकी मौत पहले ही हो चुकी थी। इस संबंध में जेलकर्मी व जांजगीर पुलिस अलग अलग बयान देते रहे। मगर यह स्पष्ट नहीं किया गया कि संतोष के शरीर पर चोटों के निशान कहां से आए। जांच करने पहुंचे एसडीएम के समक्ष सभी अधिकारी गोलमोल जवाब देकर बचते रहे। जांजगीर पुलिस ने मामले का पूरा ठीकरा जेलर पर थोप दिया था, वहीं जेलर घटना के लिए पुलिस को जिम्मेदार बता रहे थे। इस मामले में अब फिर से नई कहानी सामने आई है। कलेक्टर ब्रजेश चंद्र मिश्र व पुलिस अधीक्षक डा. आनंद छाबड़ा को 9 मई को एक जेलकर्मी के हाथ जेलर ए. के. चंद्राकर द्वारा भेजे गए प्रतिवेदन में कैदी संतोष श्रीवास की मौत उसी बैरक में निरूध्द बंदी चंद्रपुर निवासी अश्विनी उर्फ पप्पू माली द्वारा की गई मारपीट से होने की बात लिखी है। ऐसे में जेलर के प्रतिवेदन से कई तरह के संदेह उठ रहे हैं। जेलर के प्रतिवेदन पर जांजगीर पुलिस ने आनन फानन में कैदी अश्विनी पर हत्या का जुर्म दर्ज किया है। मामला तूल पकड़ने के बाद यह बात भी सामने आई है कि मृतक संतोष के परिजन जब उसका मृत्यु प्रमाण पत्र लेने नगरपालिका जांजगीर गए, तो प्रमाण पत्र जेलर द्वारा ले जाने की बात पता चली। नगरपालिका के कर्मचारियों से पूछने पर परिजनों को यह भी पता लगा कि घटना के बाद जेलर ने आनन फानन में मृत्यु प्रमाण पत्र ले लिया है। जबकि नियमों के तहत् मृतक के परिजनों को ही इसका अधिकार है। मृतक संतोष के रिश्तेदार बलौदा निवासी डा. सी पी सेन ने बताया कि जांजगीर पुलिस व जेल प्रशासन खुद को बचाने के लिए तरह-तरह की कहानियां गढ़ रहा है। पहले जेलर द्वारा यह कहा गया था कि संतोष की मौत शराब के नशे में हुई है, वह शराब पीने के बाद दीवार से टकराकर मर गया। वहीं जिला चिकित्सालय लाए जाने के बाद जेलर ने कहा कि वह बीमार था, जिससे उसकी मौत हुई। अब इस मामले में नई कहानी गढ़ी जा रही है कि बैरक नंबर 5 में बंद अश्विनी नामक एक कैदी ने पीट पीटकर उनकी हत्या की है। बहरहाल कैदी की मौत का मामला तूल पकड़ने लगा है। मामले में दंडाधिकारी जांच के अलावा पुलिस अधीक्षक ने स्पेशल टीम गठित की है। लेकिन हर बार नई कहानी सामने आने से परिजनों ने जांच टीम पर अविश्वास जताते हुए उच्चस्तर से मामले की छानबीन कराने की बात कही है।

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