शुक्रवार, 13 मई 2011

जेल में कैद आरएमपी डाक्टर की संदिग्ध मौत

0 जेलर व जांजगीर थानेदार पर हत्या का आरोप
एट्रोसिटी मामले में जेल दाखिल कराए गए एक आरएमपी डाक्टर की संदिग्ध अवस्था में मौत हो गई। मृतक के शरीर के कई हिस्सों में चोट के निशान हैं। परिजनों ने जेलर व जांजगीर थानेदार पर बेरहमी से पिटाई कर हत्या किए जाने का आरोप लगाया है।
अकलतरा निवासी आरएमपी डाक्टर संतोष श्रीवास (38 वर्ष) पिता विष्णुलाल श्रीवास जांजगीर शहर के केरा रोड में प्राइवेट क्लिनिक का संचालन कर रहा था। बीते 26 अप्रेल को भाठापारा जांजगीर निवासी राजकुमार सूर्यवंशी के साथ किसी बात को लेकर उसका विवाद हो गया, जिससे आक्रोशित होकर संतोष ने उसे पीट दिया था। इसकी शिकायत राजकुमार ने अजाक थाने में दर्ज कराई, जिस पर पुलिस ने भादवि की धारा 294,506, 324 व एट्रोसिटी एक्ट की धारा 3 (1)(10) तहत् 30 अप्रेल को डाक्टर श्रीवास को गिरफ्तार कर न्यायालय में पेश किया, जहां से उसे जेल भेजने का आदेश जारी किया गया। न्यायालय के आदेश पर जांजगीर पुलिस ने शाम 5.40 बजे उसे खोखरा भाठा स्थित जिला जेल दाखिल करा दिया। तीन दिनों बाद ३ मई की सुबह 7.45 बजे जेल प्रहरी डीयोनार्ड तिर्की व कम्पाउंडर विशाल पटेल डाक्टर संतोष को जिला अस्पताल लेकर पहुंचे। सुबह 8.30 बजे प्रहरी ने ड्यूटी पर पहुंची डॉक्टर ममता जगत को उसके तबीयत ठीक नहीं होने का हवाला देकर ईलाज के लिए कहा। प्रारंभिक जांच में ही डाक्टर जगत ने उसे मृत घोषित कर दिया। इस घटना की सूचना मृतक संतोष के परिजनों को सुबह 10.45 बजे जिला अस्पताल से मिली। इसके बाद परिजन आनन-फानन में अस्पताल पहुंचे और जानकारी ली। परिजनों को जब संतोष का शव दिखाया गया, तो वे सहम गए। मृतक के शरीर के कई हिस्सों में घाव व चोंट के निशान थे। तब तक एडिशनल एसपी एस.आर. भगत व एसडीएम शिवकुमार तिवारी भी जिला अस्पताल पहुंच चुके थे। पुलिस ने मृतक के शव का पंचनामा करना चाहा तो परिजनों ने साफ तौर पर इंकार कर दिया। संतोष की पत्नी सरोज श्रीवास, बहन श्रीमती रामप्यारी श्रीवास व भांजे डॉ सी.पी. सेन ने जांजगीर थानेदार आनंदराम, हवलदार दिलीप सिंह पर व्यक्तिगत रंजिश रखते हुए संतोष की बेरहमी से पिटाई कर हत्या किए जाने तथा जेलर ए.के. चंद्राकर द्वारा पुलिस को सहयोग दिए जाने का आरोप लगाया। इसके बाद परिजनों ने शव को अपने कब्जे में लेकर अस्पताल में हंगामा खड़ा कर दिया। मामला गंभीर होता देख एडिशनल एस.पी. तथा एसडीएम ने परिजनों को समझाईश देकर शव का पंचनामा व पोस्टमार्टम कराने के लिए कहा, तब परिजनों ने पहले दोषियों पर कार्रवाई करने की मांग की। साथ ही मामले की न्यायिक जांच कराने का दबाव बनाया। अधिकारियों की समझाईश के बाद किसी तरह शाम 5 बजे परिजन शव का पोस्टमार्टम कराने के लिए तैयार हुए। परिजनों की मांग पर तीन डाक्टरों की टीम से विडियोग्राफी के बीच शव का पोस्टमार्टम कराया गया। इस मामले में पुलिस व जेल के कर्मचारी खुद को बचानेे में लगे हुए हैं, जिसके कारण वे मृतक के शरीर पर लगे चोंटों के निशान के बारे में कुछ नहीं बता रहे हैं। घटना के बाद से जेलर चंद्राकर इस मामले के संबंध में कुछ बताने से बच रहे है, इस वजह से उन्होंने अपना मोबाइल बंद कर रखा है।

चोंटे कैसे लगी, नहीं मालूम!
न्यायालय के आदेश पर संतोष को जब जेल दाखिल कराया गया, तब उसके शरीर पर किसी प्रकार के चांेट के निशान नहीं थे। इसकी पुष्टि जेल के प्रहरी डीयोनार्ड तिर्की से हुई है। उसने एसडीएम के समक्ष दिए बयान में बताया है कि पिछले तीन दिनों से संतोष जेल में बिल्कुल स्वस्थ्य था, आज सुबह उसकी तबीयत अचानक खराब हुई, तब वे उसे लेकर कम्पाउंडर के साथ जिला अस्पताल आया, जहां कुछ देर बाद संतोष की मौत हो गई। मृतक के शरीर पर कैसे चोंटे आई है, उसे मालूम नहीं। इससे मामला पूरी तरह संदिग्ध हो गया है।

आखिर कब हुई संतोष की मौत?
जेल से अस्पताल लाए गए संतोष श्रीवास की मौत आखिर कब हुई, यह रहस्य का विषय बना हुआ है। पुलिस का कहना है कि उसकी मौत ईलाज के दौरान 10.45 बजे अस्पताल में हुई है, जबकि ड्यूटी पर मौजूद डाक्टर ममता जगत का कहना है कि संतोष को मृत अवस्था में लाया गया था। सुबह 8.30 बजे जांच के बाद स्पष्ट हो गया था कि उसकी मौत कई घंटे पहले हो चुकी है। शरीर पर लगे चोंट के निशान भी पूरी तरह से काले पड़ चुके है। ऐसे में पुलिस व डाक्टर के बयान से संतोष की मौत का कारण और समय स्पष्ट नहीं हो पा रहा है।

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