शुक्रवार, 13 मई 2011

आबकारी आयुक्त पर बरसे जनप्रतिनिधि

नई आबकारी नीति के क्रियान्वयन के लिए आयोजित बैठक हंगामेदार रही। कांग्रेस भाजपा के जनप्रतिनिधि आबकारी अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाते हुए जमकर बरसे। बैठक लेने पहुंचे आबकारी आयुक्त को भी जनप्रतिनिधियों के सवालों का जवाब देते नहीं बना।
नई आबकारी नीति 2011-12 के प्रभावी क्रियान्वयन के लिए 4 मई की शाम जिला पंचायत सभाकक्ष में अधिकारियों, जनप्रतिनिधियों व आम जनता की बैठक रखी गई थी। लगभग डेढ़ घंटे विलंब से बैठक शुरू हुई। आबकारी आयुक्त गणेश शंकर मिश्रा जब बैठक कक्ष में पहुंचे तब कई जनप्रतिनिधियों ने हंगामा मचाना शुरू कर दिया। जनप्रतिनिधियों का कहना था कि वे बैठक में टाईमपास करने नहीं पहुंचे हैं। तब आयुक्त ने उन्हें समझाईश देकर बैठक की कार्रवाई की। आयुक्त मिश्रा ने कहा कि आबकारी अधिनियम का उल्लंघन करने वाले होटल, ढाबा, रेस्टोरेंट एवं लाज संचालकों पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। यदि लायसेंसी शराब दुकान से होटल व ढाबों में शराब उपलब्ध कराई जाती है तो ठेकेदार के खिलाफ भी कड़ी कार्रवाई की जाएगी। उन्होंने कहा कि गांवों में अवैध शराब की बिक्री में बढोतरी हुई है। इसके लिए जिम्मेदार कोचियों के विरूद्व कार्रवाई की जा रही है। एजेंडा पढ़कर सुनाने के बाद आयुक्त ने जब जनप्रतिनिधियों से अपनी बात रखने को कहा, तब कई जनप्रतिनिधि भड़क गए और आबकारी विभाग के अधिकारियों की कार्यप्रणाली पर सवाल उठाने लगे। भाजपा किसान मोर्चा के जिलाध्यक्ष राजशेखर सिंह ने आयुक्त से कहा कि विभाग के अधिकारी ग्रामीण क्षेत्रों में अवैध शराब की बिक्री पर पाबंदी लगाने की बात कहते हैं, जबकि उनके संरक्षण में ही पूरा कारोबार चल रहा है। ऐसे में सिर्फ बैठक आयोजित कर औपचारिकता निभाने की बजाय नाटक नौटंकी बंद किया जाए। तब आबकारी आयुक्त सहित वहां मौजूद कलेक्टर व पुलिस अधीक्षक भी सन्न रह गए। कुछ देर तक एक दूसरे का मुंह ताकने के बाद आयुक्त मिश्रा ने कहा कि वे शराब की अवैध बिक्री पर प्रभावी नियंत्रण लाने के संबंध में यहां आए हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि आगे से जनता द्वारा शराब के संबंध में की जा रही शिकायतों पर गंभीरता से कार्रवाई की जाएगी। इसके लिए खंड स्तर व अनुविभाग स्तर पर टीमें गठित की गई हैं। बैठक में उपस्थित जिला पंचायत सदस्य रश्मि गबेल ने सक्ती क्षेत्र में हो रही शराब की अवैध बिक्री पर अंकुश लगाने की मांग की। कई जनप्रतिनिधियों ने शराब की अवैध बिक्री को बढ़ावा देने के लिए विभाग के अधिकारियों को ही जिम्मेदार ठहराया। जिस पर आबकारी आयुक्त मिश्रा सहित सहायक आयुक्त पी. एल. साहू सफाई देते रहे। करीब दो घंटे चली बैठक शुरू से लेकर आखिरी तक हंगामेदार रही।

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