बुधवार, 21 सितंबर 2011

मोजरबेयर कंपनी को जमीन देने से इंकार

0 अनिवार्य भू-अर्जन से ग्रामीणों में आक्रोश

मोजरबेयर पावर प्लांट के लिए चांपा एसडीएम द्वारा अनिवार्य भू-अर्जन आदेश जारी किए जाने के बाद बिर्रा क्षेत्र के ग्रामीणों में भारी आक्रोश है। ग्रामीणों ने एसडीएम के आदेश को सरासर गलत बताते हुए मोजरबेयर कंपनी के लिए किसी भी स्थिति में अपनी जमीन देने से इंकार किया है, जबकि प्रशासन ने किसानों की जमीन जबरिया अधिग्रहित करने की कार्रवाई शुरू करा दी है।
बम्हनीडीह विकासखंड के ग्राम बिर्रा, सिलादेही व गतवा में मोजरबेयर पावर कंपनी का 1320 मेगावाट का बिजली घर प्रस्तावित है। इसके लिए कंपनी प्रबंधन के अफसर व कर्मचारी पिछले दो वर्षो से क्षेत्र में सक्रिय है। पिछले दिनों एक एनजीओ को बुलवाकर क्षेत्र में सर्वे भी कराया था, ताकि ग्रामीणों की मांग व समस्याओं को कंपनी प्रबंधन बेहतर ढंग से समझ सके और उसी को आधार बनाकर ग्रामीणों से जमीन का मोलभाव करे, लेकिन ग्रामीणों की जागरूकता के कारण प्रबंधन अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद प्रबंधन ने क्षेत्र के स्कूलों में बस्ता व ड्रेस वितरण कराकर ग्रामीणों को अपने पक्ष में राजी करने का प्रयास भी किया। मगर हर बार असफलता ही हाथ लगी। कंपनी के तमाम प्रयासों के बावजूद किसानों का आक्रो कम नहीं होने पर प्रबंधन ने अब जिला प्रशासन के सहयोग से भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करा दी है। चांपा एसडीएम कार्यालय से बीते 2 अगस्त को अनिवार्य भू-अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 12 (2) के तहत् जारी आदेश के मुताबित किसानों को 18 अगस्त के बाद से भू-अर्जन कार्यालय चांपा में उपस्थित होकर मुआवजा राशि प्राप्त करने के निर्देश दिए गए हैं। आदेश में यह भी बताया गया है कि अधिनियम की धारा 11(1) के तहत् बिलासपुर संभाग के आयुक्त से अनुमोदन प्राप्त कर अधिनिर्णय पारित किया जा चुका है। ऐसी स्थिति में यदि भूमि स्वामी भू-अर्जन कार्यालय में उपस्थित होकर अपनी सहमति नहीं देता है, तो भी उनकी जमीन अधिग्रहित कर ली जाएगी। इस आदेश के पारित होने के बाद राजस्व विभाग ने पुलिस के सहयोग से ग्रामीणों की जमीन को अधिग्रहित करना प्रारंभ कर दिया है। इससे बिर्रा व सिलादेही के ग्रामीणों में मोजरबेयर कंपनी के अलावा प्रशासन के खिलाफ भारी आक्रोश देखा जा रहा है। बावजूद इसके जिला प्रशासन कानून का भय दिखाकर उनकी जमीनें अधिग्रहित कर रहा है। प्रशासन पर इसी तरह के आरोप क्षेत्र के सैकड़ों ग्रामीणों ने लगाया है, जिनकी जमीन मोजरबेयर प्लांट के लिए अधिग्रहित करने भू-अर्जन अधिकारी ने आदेश जारी किया है।

जनसुनवाई से पहले भूमि खरीदी
मोजरबेयर पावर कंपनी ने बिजली घर लगाने के लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई से पहले ही गतवा गांव की करीब 200 एकड़ भूमि दलालों के माध्यम से खरीद ली है, जिसके बदले में भूमि स्वामियों को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है। ऐसे ग्रामीण कंपनी से मिलने वाली अन्य सुविधाओं से वंचित हो गए हैं, जो विस्थापन के बाद आखिर कहां जाएंगे, इसकी चिंता जिला प्रशासन को नहीं है। बताया जाता है कि कंपनी की जनसुनवाई आगामी 21 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जिसके पूर्व कंपनी के अफसर प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों को अपने पक्ष में करने में लगे हुए हैं।

ग्रामीण उग्र आंदोलन की तैयारी में
मोजरबेयर कंपनी के खिलाफ बिर्रा व सिलादेही के ग्रामीण जिला प्रशासन से लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ग्रामीणों की सुनने को भी तैयार नहीं है। सिलादेही के सरपंच हीरालाल मांझी, होरीलाल कलार, महादेव साहू, सुरेश कुमार, रामसाय कहरा, पारसमणी व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि मोजरबेयर पावर प्लांट के लिए वे अपनी पुश्तैनी जमीन किसी भी स्थिति में देने को तैयार नहीं है। यदि प्रशासन उनकी जमीन जबरिया अधिग्रहित करेगा, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।

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