मोजरबेयर पावर प्

बम्हनीडीह विकासखंड के ग्राम बिर्रा, सिलादेही व गतवा में मोजरबेयर पावर कंपनी का 1320 मेगावाट का बिजली घर प्रस्तावित है। इसके लिए कंपनी प्रबंधन के अफसर व कर्मचारी पिछले दो वर्षो से क्षेत्र में सक्रिय है। पिछले दिनों एक एनजीओ को बुलवाकर क्षेत्र में सर्वे भी कराया था, ताकि ग्रामीणों की मांग व समस्याओं को कंपनी प्रबंधन बेहतर ढंग से समझ सके और उसी को आधार बनाकर ग्रामीणों से जमीन का मोलभाव करे, लेकिन ग्रामीणों की जागरूकता के कारण प्रबंधन अपने इस मकसद में कामयाब नहीं हो सका। इसके बाद प्रबंधन ने क्षेत्र के स्कूलों में बस्ता व ड्रेस वितरण कराकर ग्रामीणों को अपने पक्ष में राजी करने का प्रयास भी किया। मगर हर बार असफलता ही हाथ लगी। कंपनी के तमाम प्रयासों के बावजूद किसानों का आक्रोश कम नहीं होने पर प्रबंधन ने अब जिला प्रशासन के सहयोग से भू-अर्जन की प्रक्रिया शुरू करा दी है। चांपा एसडीएम कार्यालय से बीते 2 अगस्त को अनिवार्य भू-अर्जन अधिनियम 1894 की धारा 12 (2) के तहत् जारी आदेश के मुताबित किसानों को 18 अगस्त के बाद से भू-अर्जन कार्यालय चांपा में उपस्थित होकर

जनसुनवाई से पहले भूमि खरीदी
मोजरबेयर पावर कंपनी ने बिजली घर लगाने के लिए पर्यावरणीय जनसुनवाई से पहले ही गतवा गांव की करीब 200 एकड़ भूमि दलालों के माध्यम से खरीद ली है, जिसके बदले में भूमि स्वामियों को पर्याप्त मुआवजा नहीं दिया गया है। ऐसे ग्रामीण कंपनी से मिलने वाली अन्य सुविधाओं से वंचित हो गए हैं, जो विस्थापन के बाद आखिर कहां जाएंगे, इसकी चिंता जिला प्रशासन को नहीं है। बताया जाता है कि कंपनी की जनसुनवाई आगामी 21 अक्टूबर को प्रस्तावित है, जिसके पूर्व कंपनी के अफसर प्रशासन तथा जनप्रतिनिधियों को अपने पक्ष में करने में लगे हुए हैं।
ग्रामीण उग्र आंदोलन की तैयारी में
मोजरबेयर कंपनी के खिलाफ बिर्रा व सिलादेही के ग्रामीण जिला प्रशासन से लगातार शिकायत कर रहे हैं, लेकिन प्रशासन ग्रामीणों की सुनने को भी तैयार नहीं है। सिलादेही के सरपंच हीरालाल मांझी, होरीलाल कलार, महादेव साहू, सुरेश कुमार, रामसाय कहरा, पारसमणी व अन्य ग्रामीणों ने बताया कि मोजरबेयर पावर प्लांट के लिए वे अपनी पुश्तैनी जमीन किसी भी स्थिति में देने को तैयार नहीं है। यदि प्रशासन उनकी जमीन जबरिया अधिग्रहित करेगा, तो वे उग्र आंदोलन करेंगे।
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